लुधियाना, 26 अक्टूबर, 2025 (संजीव आहूजा): अक्टूबर का महीना उत्तरी भारत में सांस से जुड़ी बीमारियों के बढ़ने का समय होता है। ठंडा मौसम, बढ़ता प्रदूषण और वायरसों के फैलने से न्यूमोनिया के मामले तेजी से बढ़ते हैं। इसके कारण बुज़ुर्गों और कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों को अस्पताल या ICU में भर्ती करना पड़ता है।
टीकाकरण (Vaccination) इससे बचाव का सबसे अच्छा तरीका है।
न्यूमोनिया के टीके — PCV13, PCV20 और PPSV23 — उन बैक्टीरिया से सुरक्षा देते हैं जो न्यूमोनिया पैदा करते हैं। ये टीके 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और जिन्हें दमा, शुगर, दिल की बीमारी या कमजोर रोग-प्रतिरोधक शक्ति है, उनके लिए खास तौर पर सुझाए जाते हैं।
इसी तरह फ्लू (इन्फ्लूएंजा) का टीका भी बहुत जरूरी है। यह फ्लू से होने वाले न्यूमोनिया और अस्पताल भर्ती के मामलों को कम करता है। ये टीके भारत में उपलब्ध हैं और हर साल लगवाने की सलाह दी जाती है — खासकर बुज़ुर्गों, दिल या फेफड़ों की बीमारी वाले मरीजों, गर्भवती महिलाओं और डॉक्टरों या स्वास्थ्यकर्मियों के लिए।
डॉ. कशिश दत्ता, सलाहकार पल्मोनोलॉजिस्ट, फोर्टिस अस्पताल, कहते हैं:
“हर अक्टूबर न्यूमोनिया के मामले बढ़ते हैं। न्यूमोनिया और फ्लू के टीके सुरक्षित हैं और ICU में भर्ती के मौके कम करते हैं। टीका लगवाकर बचाव करना इलाज से कहीं बेहतर है।”
अन्य जरूरी टीके जैसे कोविड-19 बूस्टर, Tdap (खांसी के लिए), Hib, MMR और जोस्टर टीका भी सांस से जुड़ी गंभीर बीमारियों से सुरक्षा देते हैं।
इस मौसम में संदेश साफ है — टीकाकरण सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि बचाव है।
समय पर टीका लगवाने से जानें बचती हैं, परिवार सुरक्षित रहते हैं और अस्पतालों पर बोझ कम होता है।
